Aap log ke paaas dil naam ki chiz hi nahi hoti
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jab dekho kharche ke bare me sochte ho
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kisike derd ko kya sazoge
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Kya khub likha hain:
"बक्श देता है 'खुदा' उनको,
जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है...
वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है,
जिनकी नियत खराब होती है..."
न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा,
न तारिफ तेरी होगी, न मजाक मेरा होगा.
गुरुर न कर "शाह-ए-शरीर" का,...........
मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा !!!
जिन्दगी भर ब्रांडेड ब्रांडेड करने
वालों .....
याद रखना कफ़न का कोई ब्रांड नहीं होता .....
कोई रो कर दिल बहलाता है और कोई हँस
कर दर्द छुपाता है.
क्या करामात है कुदरत की, ज़िंदा इंसान
पानी में डूब जाता है और मुर्दा तैर के
दिखाता है...
मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत
खूबसूरत होगी,
कम्बख़त जो भी उस से मिलता है,
जीना छोड़ देता है..
ग़ज़ब की एकता देखी लोगों की ज़माने
में .......
ज़िन्दों को गिराने में और मुर्दों को उठाने
में ..
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री"
होगी,
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी ।
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से ना जाने कौनसी "मुलाक़ात"
आख़री होगी ...
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